अग्नाशय (Pancreas) पेट के पीछे स्थित अंग होता है। यह एंजाइम बनाता है, जो भोजन के पाचन में मदद करते हैं।यह हार्मोन भी बनाता है जो ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है।
क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस आपके अग्न्याशय (Pancreas) में होने वाली सूजन है जो ग्रंथि (Gland) के प्रगतिशील विनाश का कारण बनता है। इससे ग्रंथि (Gland) की स्थायी क्षति हो सकती है।
परिणामस्वरूप आपके अग्न्याशय में पथरी और अल्सर विकसित हो सकते हैं, जो आपकी आंत में पाचन रस को प्रवाहित करने वाली नली को बंद कर देते हैं। इससे आपके शरीर के लिए भोजन को पचाने और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में कठिनाई आती है। यह कुपोषण और मधुमेह का कारण बन सकता है। हालांकि सबसे ज्यादा परेशान करने वाला लक्षण ऊपरी पेट में गंभीर दर्द है।
इसका दर्द घंटों या दिनों तक भी रह सकता हैं। कुछ लोगों का कहना है कि खाने या पीने से उनका दर्द बढ़ जाता है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, दर्द निरंतर बढ़ सकता है।
वसायुक्त (चर्बीयुक्त) मल (भारी मल आसानी से नहीं बहाया जा सकता है) यह संकेत हो सकता है कि आपका शरीर पोषक तत्वों को सही ढंग से अवशोषित नहीं कर रहा है।
क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस के कारण :
– मदिरा या शराब का सेवन (यह सबसे आम कारण है)।
– धूम्रपान
– पोषण संबंधी कारक (आहार में उच्च वसा (फाइबर) और प्रोटीन, हाइपरट्राईग्लेसराइडिआ जो आपके रक्त में ट्राइग्लिसराइड वसा का उच्च स्तर है)।
– वंशानुगत कारक (जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस)।
– संकीर्ण या अवरुद्ध अग्नाशय वाहिनी, जो कि ट्यूब है जो अग्न्याशय से छोटी आंत में एंजाइमों को ले जाती है।
– ऑटोइम्यून बीमारी, जिसमें आपका शरीर गलती से आपकी स्वस्थ कोशिकाओं और टिश्यूज पर हमला करता है।
क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस का निदान (डायग्नोसिस) :
शुरुआती चरणों में क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस का निदान करना मुश्किल है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, अग्न्याशय में संरचनात्मक परिवर्तन होते हैं जिन्हें अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन और एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (ईयूएस) जैसे परीक्षणों की मदद से पकड़ा जा सकता है।
क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस की जटिलताएं :
यह स्थिति पित्त नलिकाओं जैसे पड़ोसी अंगों में रुकावट पैदा कर सकती है (जो पीलिया का कारण बनता है), ग्रहणी (पेट के बाद छोटी आंत का एक हिस्सा), बृहदान्त्र या बड़ी आंत (कोलन), प्लीहा शिरा (प्लीहा को शिथिल करने वाली एक नस, जो पेट में रक्त से भरी थैलियों का कारण बन सकती है) खून की उल्टी)।
यह अग्न्याशय (pseudocysts) में द्रव से भरे थैलियों का कारण भी बन सकता है या अग्नाशयी वाहिनी (छोटी आंत में अग्नाशय के रस को वहन करने वाली नलिका) का टूटना हो सकता है। अग्नाशयी नलिका के टूटने से पेट या छाती में रस जमा होता है। दीर्घकालिक अग्नाशयशोथ भी लंबे समय तक अग्नाशय के कैंसर का कारण बन सकता है।
क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस का इलाज :
यह उपचार एवं चिकित्सा, एंडोस्कोपिक या सर्जिकल हो सकता है। उपचार बीमारी को ठीक नहीं कर सकता है यह रोग से जुड़े लक्षणों और जटिलताओं को एड्रेस कर सकता है।
उपचार का सबसे महत्वपूर्ण उपाय शराब और निकोटीन के उपयोग पर पूर्ण संयम यानि बंद करना है। यदि कोई रोगी शराब पीना या धूम्रपान करना जारी रखता है, तो कोई भी उपचार कारगर साबित नहीं होगा।
मुख्यतः दर्द रोगी की प्रमुख शिकायत रहती है, अतः दर्द निवारक दवाएं सबसे सामान्य रूप से निर्धारित हैं। यदि दर्द का निवारण नहीं हो रहा है उस परिस्थिति में धीरे-धीरे दर्द निवारक दवाओं की खुराक और प्रकार बदल दिए जाते हैं। हालांकि दर्द निवारक दवाओं (ओपियोड्स) का लंबे समय तक सेवन नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उनके अपने दुष्प्रभाव हैं। यदि दर्द नियंत्रित नहीं होता है तो डॉक्टर की सलाह से एंडोस्कोपिक थेरेपी या सर्जरी जैसे उपचार के अन्य प्रकारों का इस्तेमाल होना चाहिए।
आमतौर पर निर्धारित अन्य उपयोगी दवाएं एंटीडिप्रेसेंट, प्रीगैबलिन, एंटीऑक्सिडेंट, अग्नाशय एंजाइम और मल्टीविटामिन हैं।
हाल के वर्षों में एंडोस्कोपिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। एंडोस्कोपिक स्टेंटिंग, पत्थरों के मुख्य अग्नाशयी नलिकाओं को साफ़ करना, ईएसडब्ल्यूएल तकनीक का उपयोग करके उन्हें साफ़ करने से पहले पथरी को तोड़ना आदि।
क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस के उपचार में सर्जरी सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। सर्जरी करने का सबसे महत्वपूर्ण कारण दर्द है। पर्याप्त रूप से की गई सर्जरी लगभग 80-90% रोगियों में दर्द से राहत दे सकती है। हालांकि यह रोग प्रक्रिया को उलट नहीं सकता है।

